Monday, 19 October 2020
'The Great Tale of Hinduism' book by Author Prathviraj Singh
Friday, 16 October 2020
बॉलीवुड का धर्मयुद्ध या मीडिया की सनसनी?
आज सुशांत सिंह राजपूत मामले के 4 महीने पूरे होने पर अगर हम ठगा सा महसूस नहीं कर रहे तो मान लीजिए कि देश का मानस सही दिशा में नहीं है। हर संभव मुश्किल से जूझते वक़्त जिस शालीनता के साथ हम ने मीडिया और बॉलीवुड के बीच मचे छीछा लेदर का लुफ्त उठाया है वह या तो कोई बुद्ध समाज कर सकता है या कोई बुद्धु समाज।
भाई भतीजावाद के झंडा बरदार घोषित हो चुके बॉलीवुड के 18-20 के लड़के लड़कियां जो कि भारतीय न्याय तंत्र के हिसाब से अभी कुछ महीने पहले ही समझदार हुए है, उन्हें हाशिए पर चड़ता देखने की उत्सुकता मे अंधे हो चुके लोगो ने जब इस के शांत होने के बाद वास्तविकता से आंख मिलाई होगी तो एक बार मन ग्लानि से जरूर भर गया होगा। कई सवाल है जो मेरे चारों तरफ से भी सुनाई से रहे है। उनमें से एक बड़ा सवाल यह है कि क्या मीडिया का रवैया सही था? जिस में सबसे पहले फैसला सुनाया, फिर अपराधी ढूंढे और उस के बाद खुद ही जांच बिठाई जिस में शुक्र है कि थोड़ी बहुत मदद सी.बी.आई की भी ली। और फिर ऐसा माहौल बनाया कि मानो इस धर्मयुद्ध के जीतते है देश की सारी परेशानियां खत्म हो जाएंगी। और समाज फिर एक बार स्वर्णिम युग में प्रवेश करेगा। ये तो भला ही हुआ कि प्राइम टाइम पर किसी को लाइव फांसी नहीं हुई। मीडिया की वक्र दृष्टि से बच बच कर कई बिद्धिजिवियो ने यह सवाल भी उठाया कि क्या पूरे देश का बमुश्किल 500-600 लोगो से बने बॉलीवुड में इतना रुचि लेना सही है। जब की करोड़ों बेरोजगार और आर्थिक तंगी से पीड़ित लोग किसी को अपना दुखड़ा सुना तक नहीं पा रहे। और अगर हम यह मान भी लें कि ये 500-600 लोग देश के लिए इतने अहम है तब भी क्या उनके अंतरंग जीवन में किसी का कैमरा ले कर घुस जाना सही है?
मेरे लिए इन सवालों का जवाब मिला इस है इंडस्ट्री के सबसे प्रमुख निर्माता द्वारा चलाए जा रहे एक टीवी शो में। चाय पर चर्चा का अंग्रेजी रूपांतर यह शो जिस में वह सभी बॉलीवुड सितारों से पूछते है कि आप अगर सुबह किसी और के बेडरूम में जागती या जागते है तो आप क्या करेंगे? या फिर इन सभी सितारों में से किस से आप सिर्फ वन नाइट स्टैंड वाला रिश्ता रखेंगी, किस से आप प्रेम प्रसंग चलना चाहेंगी/चाहेंगे और किस से शादी करेंगे? इस ही शो के माध्यम से हमें यह बताया गया कि किसी के जीवन की अंतरंग बातो मै कितना मजा लिया जा सकता है। किसी फिल्मी कलाकर के वैवाहिक जीवन के बाहर चल रहे प्रेम प्रसंग आम जनता को कितनी खुशी देते है। और सब से ज्यादा मजे कि बात की इन सितारों को भी ऐसे बर्ताव या सवालों से कोई अपात्ती नहीं होती। खुद ही को चरित्रहीन और बेपरवाह होने का सर्टफिकेट देते वक़्त इन फिल्मी सितारों को अंदाजा भी नहीं होगा कि जो बबूल आज वो बो रहे है इस के कांटे इन्हें कितनी जोर से चुभेंगे। जिस ड्रग पार्टी का वीडियो खुद ही शेयर कर ये इतरा रहे थे वहीं वीडियो इन के गले की हड्डी बनेगा, इस बात का अंदाजा भी इन बेचारों को नहीं होगा। यह पूरा घटनाक्रम हमे भी सीख देता है कि आज के इस युग में आप मर्यादा भंग तो बड़ी आसानी से कर सकते है पर फिर बाद में इस कि कोई सीमा या दिशा तय करना किसी के भी आपे से बाहर की बात है।
खेर इन्हें फिल्मी सितारे कहा भी इसीलिए जाता है क्यो की फिल्मी कि ही तरह इन की चमक भी बनावटी होती है। और इस में कुछ ग़लत भी नहीं। आखिर किसी अच्छे कलाकर से यह अपेक्षा रखना की उस की राजनीतिक, सामाजिक, न्यायिक सूझ बुझ भी उतनी ही अच्छी हो जितनी अपनी कला में है, यह तो उस के साथ भी ज्यायती होगी। इसी ही लिए मैंने खुद को उस फूहड़ टीवी शो के होस्ट कि जगह रख कर देखा और विश्वास मानिए उस कि परेशानी का एहसास भी मुझे हुआ। किसी भी साक्षत्कार की जान होता है उस में बुलाया गया मेहनाम जो वास्तविक दुनिया और जीवन के अनुभवो से ओत प्रोत हो। जिस के सीधी सदी बाते और किस्से भी लोगो को लुभाती हो। किसी भी क्षेत्र में अपनी मेहनत से नाम कमा चुके लोग जब कुछ बोलते है तो वह अपने आप ही दर्शक को सुहाना लगता है, प्रेरणा देता है। आप अगर एक सफ़र तय किए व्यक्ति जैसे अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, जावेद अख्तर या देवानंद को सुनेगे तो मुझे नहीं लगता कि उस में अश्लील और फूहड़ बातो का तड़का लगाने की आवश्यकता किसी को भी महसूस होगी। पर जब इंटरव्यू किसी ऐसे सितारे का हो जिस की चमक भी मां या बाप की उधर दी हुई हो या जिस का सबसे बड़ा टैलेंट जबान से अपनी नाक छू लेना हो तो कार्यक्रम को मनोरंजक बनाने के लिए ओछी बातो का सहारा तो लेना ही पड़ेगा। पर अब आखिरी में यह समझ नहीं आ रहा कि देश के 5 महीने बर्बाद करने का इल्जाम किस के माथे डाले। पहले ही खुद को थल में परोस कर प्रस्तुत कर चुके बॉलीवुड पर या उस थाल में दावत उड़ा चुकी मीडिया पर या फिर खुद पर जो इन सब बातो में ड्रग्स के नशे कि तरह पड कर अपनी सुद बुध भुला बैठे है।
लेखक:- प्रथ्वी राज सिंह